Saturday 12 November 2016

सरोद वादक चंद्रिमा मजूमदार ने प्राचीन कला केन्द्र में दी प्रस्तुति

By Tricitynews Reporter
Chandigarh 12th November:- प्राचीन कला केन्द्र उभरते प्रतिभाशाली कलाकारों के लिए एक ऐसा सम्मानित मंच है जिस पर प्रदर्शन करके हर कलाकार अपने लिए नए आयाम बनाता है। केन्द्र देश भर के प्रतिभाशाली कलाकारों के लिए और भारतीय कलाओं के विकास के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। अपनी इसी परम्परा को बनाए रखने के लिए पिछले चार दशकों से केन्द्र लगातार मासिक बैठकों का आयोजन करता रहा है। केन्द्र की 228 वीं बैठक को इस बार दिल्ली से आई प्रतिभाषाली सरोद वादक चंद्रिमा मजूमदार के मधुर सरोद वादन से सजाया गया। चंद्रिमा ने अपनी सुन्दर  प्रस्तुति से एक यादगार षाम को संजोया।
आज के अपने कार्यक्रम की षुरूआत चंद्रिमा नेराग पटदीपसे की। जिसमें उन्होंने विलम्बित गत में आलाप जोड़ झाला की सुंदर प्रस्तुति देकर अपनी कला से सबको अवगत करवाया। इसके उपरांत विलम्बित तीन ताल में गत प्रस्तुत करके खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए चंद्रिमा ने द्रुत तीन ताल में गत प्रस्तुत की। और जोड़ अंग में स्वरों के आपसी सामंजस्य को दरशा कर झाले के अंग में हाथ की तैयारी को पेश करके खूब वाहवाही अर्जित की। इसके पश्चात् इन्होंने राग तिलक कामोद में झपताल की एक सुंदर बंदिष पेश की। कार्यक्रम का समापन चंद्रिमा ने राग खमाज में निबद्ध एक रचना से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में उनके साथ तबले पर दिल्ली के युवा एवं प्रतिभाशाली तबला वादक जुहैब खां ने बखूबी संगत की।
चंद्रिमा एक ऐसी युवा एवं प्रतिभाशाली सरोद वादक है जिन्होंने तंत्रवादन के एक बेहद मुश्किल वाद्य सरोद को चुन अपने लिए नए आयाम बनाए। चंद्रिमा प्रसिद्ध सरोद वादक नरेंद्रनाथ धर के शिष्यत्व में सरोद वादन की शिक्षा  ली। इन्होंने देश के बहुत से सम्मानीय कार्यक्रमों में प्रस्तुतियों देने के साथ-साथ कई सम्मान भी प्राप्त किए हैं। अर्थशास्त्र में स्नात्कोतर चंद्रिमा आजकल देश की प्रसिद्ध संस्था इंडिया हैबीटेट सेंटर में बतौर प्रोग्राम सलाहकार कार्यरत हैं।



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