Friday 8 November 2019

NSUI Holds Massive Protest on 3rd Anniversary of Demonetization at Moga


By Tricitynews
Moga 08th November:- The National Student Union of India (NSUI) under the leadership of Punjab President Akshay Sharma on Friday held a protest on the 3rd anniversary of Demonetization at Moga.
Addressing the media, Akshay Sharma said the demonetization was independent India’s darkest day and worst move amongst all anti-public economic schemes of the Narendra Modi Government.
Akshay Sharma said that the government has not only run a well-tuned economy under the UPA government into the ground, but has also been misleading the general public with divisive and socially damaging actions and statements. He said Demonetization was Independent India’s biggest economic scandal and fraud, and a day future generations will remember and never forgive the BJP government for. 
He said that the loss of employment opportunities at such a large scale is unprecedented in our country, and will have long term implications. Also, the numerous bank frauds, and inaction by the Central Government are creating social unrest which threatens the foundations on which a modern India has been built.
Submitting a memorandum to the Deputy Commissioner, Sharma registered the strongest protest against the anti-growth and anti-common man policies of the Central government led by Prime Minister Narendra Modi. He added that as we pledge to walk alongside all our brothers and sisters in this definitive battle for saving the Indian economy and dreams and aspirations of a billion people, we want the BJP to know that we shall never let their ineptitude to run the nation and the economy hurt our country's hopes.

श्री चैतन्य गौड़िय मठ के संस्थापक श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी का आविर्भाव दिवस मनाया गया धूमधाम से


By Tricitynews
Chandigarh 08th November:- श्री चैतन्य गौड़ीय मठ चंडीगढ़ में उत्थान एकादशी तिथि  का पर्व एवं श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी का आविर्भाव  8 नवंबर को पूरे  भारत सहित विश्व के 25 देशों में मनाया गया।
हर वर्ष आने वाला उत्थान एकादशी का पावन दिन श्री चैतन्य गौड़ीय वैष्णव समाज के लिए बहुत ही महत्व रखता है। यहाँ ये दिन चर्तुमास व्रत का पालन कर रहे भगवान के शुद्ध भक्तो की उत्थान एकादशी पर अपने प्रभु की जागरण लीला के साथ उनकी व्याकुलता को दूर करता है। उसके साथ ही यह श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु जी की परंपरा के दसवें आचार्य श्री श्रीमद भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी का प्रकट दिवस सबको आनद के समुंदर में मग्न कर देता है। महाराज जी का जन्म 18, नवंबर 1904 उत्थान एकादशी की पवित्र तिथि को प्रातः 8 बजे पूर्वी बंगाल(मौजूदा बंगला देश) फरीदपुर जिले के कांचनपाड़ा नाम के गाँव  देवी बालक के रूप में हुआ। उत्थान एकादशी चर्तुमास की समाप्ति होने पर आती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की नींद के बाद जागते है। यह वह शुभ दिन है जो संसार में खुशियां ओर पवित्रता लाता है। इस तिथि को भगवान श्री हरि के निजजन हमारे परमाराध्य श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी का आविर्भाव माया में फंसे सांसारिक जीवो के त्रिताप को दूर करने के लिए हुआ। बचपन से ही आप मे संसार के विषयों के प्रति उदासीन भाव था। बाल्यकाल से ही आपके हृदय की विशालता तथा ज्ञान की प्रसारता को देख अनेक लोग यह कहते थे कि अवश्य ही यह बालक भविष्य में कोई असाधारण व्यक्तित्व संपन्न पुरुष होगा। और ये बात सच साबित हुई।
श्री गुरुदेव आदर्श मातृ-भक्त थे। आपकी माता जी आपको अपने पास बिठाकर विभिन्न शास्त्र-ग्रंथो का स्वयं पाठ करती थी। नियमित रूप से पाठ करते करते आपको 11 वर्ष की आयु में सारी गीता कंठस्थ हो गयी थी। जब आप छोटे ही थे तो आपके पिता श्री निशिकांतदेव शर्मा बन्दोपाध्याय जी परलोकवासी हो गए थे। इसलिए आपका सारा बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। आपके नाना अपने क्षेत्र के एक प्रसिद्ध धनी व्यक्ति थे। तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने उन्हें 'राज चक्रवती' की उपाधि से विभूषित किया था।
 श्री गुरुदेव जी की शिक्षा कांचन पाड़ा ग्राम तथा भट्ट ग्राम  में हुई थी। एक रात श्री गुरुदेव जी ने एक एक अपूर्व स्वप्न देखा कि नारद ऋषि जी ने आकर आपको सांत्वना दी तथा मंत्र प्रधान किया और कहा कि इस मंत्र के जप से तुम्हे सबसे प्रिय वस्तु की प्राप्ति होगी। परन्तु स्वप्न टूट जाने के पश्चात बहुत चेष्टा करने पर भी वह सारा मंत्र आपको याद नही हो पाया। मंत्र भूल जाने पर आपके मन और बुद्धि में अत्यंत क्षोभ हुआ। और दुःख के कारण आप मोहित हो गए। सांसारिक वस्तुओं से उदासीनता चरम सीमा पर पहुंच गई। और आपने संसार को त्याग देने का संकल्प लिया|
सन 1925 में आप अपने बचपन के दोस्त श्री नारायण चंद्र मुखोपाध्याय आदि के साथ श्री मायापुर धाम में पहुंचे। वहीं श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में आपने जगद्गुरु श्रील भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद जी के प्रथम दर्शन किये। 4 सितंबर 1927, श्री राधाष्टमी की शुभ तिथि को उल्टाडांग, जंक्शन रोड पर स्थित श्री गौड़ीय मठ में प्रभुपाद जी का चरणाश्रय लेते हुए श्री हरिनाम और दीक्षा मंत्र ग्रहण किया। दीक्षित होने के बाद आप हयग्रीव दास ब्रह्मचारी नाम से परिचित हुए। 40 साल की आयु में 1944 फाल्गुनी पूर्णिमा को गौर आविर्भाव तिथि पर आपने श्री टोटा गोपिनाथ जी के मंदिर श्री पुरषोत्तम धाम उड़ीसा में अपने गुरुभाई परिव्राजकाचार्य त्रिदण्डि स्वामी श्री श्रीमद भक्ति गौरव वैखानस महाराज जी के सात्वत विधान के अनुसार त्रिदण्ड का संन्यास ग्रहण किया। संन्यास के बाद आप परिव्राजकाचार्य त्रिदण्डि स्वामी श्री श्रीमद भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। आपकी गुरुसेवा को देखकर सभी आश्चर्यचकित होते थे। आपके महान आदर्श से प्रभावित होकर आज पूरे भारतवर्ष में अनगिनत नर-नारी श्री हरिनाम संकीर्तन की महिमा को समझकर, श्री चैतन्य महाप्रभु जी की दिखाई हुई अनन्य श्री कृष्ण भक्ति प्रेम -धर्म के महत्व का अनुभव करके तथा भक्ति-सदाचार में प्रतिष्ठित होकर गौड़ीय वैष्णव धर्म में दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं। श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के वर्तमान आचार्य परमपूज्य पाद श्रील भक्ति भूषण भागवत महाराज जी के सान्निध्य में चंडीगढ़ मठ में श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महराज जी का आविर्भाव दिवस बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया गया। चड़ीगढ़ में श्री चैतन्य गौड़ीय  मठ की स्थापना श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी द्वारा आज से 50 वर्ष पूर्व की गई थी। मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता जी ने बताया कि आरती के बाद फलाहार प्रसाद का वितरण किया गया।
8 नवंबर दिन शुक्रवार को उत्थान एकादशी महोत्सव श्री चैतन्य गौड़ीय मठ चंडीगढ़, जालंधर, दिल्ली, हैदराबाद, वृन्दावन धाम सहित पूरे भारत और विश्व के लगभग 25 देशों में मनाया जा रहा है। जिसमें अलग अलग स्थानों से आये हुए भक्तजन गुरु जी को अपनी पुष्पांजलि अर्पित की।