By Tricitynews Reporter
Chandigarh
31st July:- खालसा कॉलेज (अमृतसर) टेक्नोलॉजी एैंड बिजनेस स्टडीज में आज पंजाब के मशहूर और बड़ी छोटी उम्र के कवि शिव कुमार बटालवी के जन्म दिवस के अवसर पर एक संगीत समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन कॉलेज परिसर के ऑडोटोरियम में सोसाइटी ऑफ इंडियन म्यूजिक एंड आर्ट व खालसा कॉलेज अमृतसर एल्युमिनी एसोसिएशन, मोहाली के सहयोग से करवाया गया। इस कार्यक्रम में पंजाब के प्रसिद्व कवि शिव कुमार बटालवी के उन गीतों को गाया गया जिसमें उन्होंने समाज, महिलाओं और कुदरत से जुड़े रोमांटिक और समाज को नई दिशा देने वाले थे।
इस संबंध में खालसा कॅालेज एसोसिएशन मोहाली के एल्युमिनी के अध्यक्ष स्वर्ण सिंह बोपाराय आइ.ए.एस रिटायर्ड, महासचिव गुरचरन सिंह बोपाराय, सचिव स्वर्ण सिंह संधू ने बताया कि आज से पहले प्रसिद्ध कवि शिव कुमार बटालवी की बरसी ही मनाई जाती थी जिसमें सिर्फ सैड सांग की गाए जाते हैं और उनको सच्ची श्रद्वांजलि अर्पित की जाती थी लेकिन इस बार बठालवी जी का जन्म दिवस मनाने का फैसला किया गया जो हर साल आगे भी मनाया जाता रहेगा। संधू ने बताया कि इस कार्यक्रम में सिर्फ मनोंरंजक व रोमांटिक गीतों को गाया गया। उन्होंने बताया कि शिव कुमार बटालवी ऐसा नहीं है कि उन्होंने सिर्फ सैड सांग ही लिखे व गाए। उन्होंने समाज को कई तरह के रोमांटिक गीत भी दिए जिनमें कोई ऐसा वर्ग जिनको उन्होंने छूआ नहीं।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत मुख्यातिथियों व कॉलेज प्रिंसीपल की ओर दीप प्रज्जवलित करके किया गया। इस अवसर पर कॉलेज में पहुंचे हुए सभी अतिथियों का संस्था के अध्यक्ष ने स्वागत किया । इस अवसर पर विशेष अतिथि के तौर पर पूर्व ओलाम्पियन खिलाडी बलबीर सिंह उपस्थित थे। कॉलेज प्रिंसीपल डा. हरीश कुमारी ने आए हुए मेहमानों व उपस्थित श्रोताओं का तहदिलों से धन्यवाद किया। इस अवसर पर जरनैल बैंस, एन.एस. रत्न आइ.ए.एस. रिटायर्ड,प्रो. कश्मीर सिंह गिल,सेवी रायत, जनक राज के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे।
पंजाब के प्रसिद्व कवि शिव कुमार बटालवी के रोमांटिक गीतों की जिस तरह से उपस्थित कवि और कवित्रियों समां बांधा कि वहां पर उपस्थित श्रोतागणों ने जम कर तालियां बजाई और खूब वाहवाही लूटी इतना ही नहीं सबसे पहले लंग गिया वे माकहिया सावण लंग गिया वे, शाम दी फिक्की फि क्की धुंध एक को स्वर्ण सिंह संधू और गुर चरन सिंह बोपाराय, के अलावा हाए न अजज अंबर लिस्से, लिस्से को आर.डी. कैले ने बाखूबी से प्रस्तुत किया। इसके अलावा कई ऐसी कवित्रियां जिनमें सुरजीत बैंस,तारन गुजराल ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
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