By Tricitynews Reporter
Chandigarh
24th September:- जैसे पके हुए फल में तीन पहचान होती है एक वह नर्म हो जाता है दुसरा वह मीठा हो जाता है तीसरा उसका रंग बदल जाता है जिसमें यह तीनों लक्षण नही होते हेै वह पक्का हुआ नही होता इसी प्रकार परिपक्व व्यक्ति की भी तीन पहचान होती है पहली उसमें नम्रता होती है दुसरा उसकी वाणी में मिठास होता है तीसरा उसके चेहरे पर आत्मविश्वास होता है। यह प्रवचन धनास की अमन कॉलोनी स्थित प्राचीन शिव काली माता मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत् सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास परम् पूज्यनीय आचार्य तिलकमणी शास्त्री जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन दिये।
कथा व्यास परम् पूज्यनीय आचार्य तिलकमणी शास्त्री जी महाराज ने श्रद्धालुओं की कथा में कालिया नाग की कथा, इंद्र के अभिमान को खत्म करने के लिए भगवान ने अपनी कनिष्ठका उंगली के नाखून पर गोवर्धन पर्वत का उठाने की कथा, महारास लीला की कथा, अपने मामा कंंस का उद्धार, भगवान का गुरूकुल प्रवेश, जरासंध का वध, द्वारिका का निर्माण तथा रक्मणी के विवाह का प्रसंग व कथा का श्रवण करवाया। उन्होंने बताया कि भगवान उस व्यक्ति को धारण करते हैं जिसके अंदर छल कपट द्वेष भाव, पाखंड न हो जो अंदर से बिल्कुल खाली हो।
उन्होंने बताया कि वेदों पुराणों में सबसे बड़ा धर्म सत्य है, पांडवों के साथ सत्य धर्म था क्योंकि युधिष्ठर धर्म रूप, भीम बल के रूप में, अर्जुन आत्मा के रूप में, नकुल ज्ञान,सहदेव रूप में तथा द्रोपदी दया रूप में थी। इस संदर्भ में धर्म के साथ सत्य रहेगा तो जीवन सफ ल है, बल का प्रयोग धर्म में किया जाये तो जीवन सफ ल है, आत्मा का कल्याण धर्म से ही होता है,ज्ञान धर्म के लिए किया जाए तो जीवन सफ ल है और रूप का प्रयोग धर्म के रूप में हो तो जीवन सफ ल है।
इस अवसर पर कथा व्यास आचार्य तिलकमणी शास्त्री जी महाराज द्वारा भजन गाया गया जिसमें श्रद्धालु मंत्र मुग्ध होकर झूम उठे।
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