Monday 14 August 2017

मठ मंदिर में जन्माष्टमी पर पांच क्विंटल फूलों से सजाया गया है भगवान श्री कृष्ण का महल

By Tricitynews Reporter
Chandigarh 14th August:- जन्माष्टमी की रौनक लोगों को हर साल की तरह इस वर्ष भी मठ की और खींच लाई है। चंडीगढ़ सेक्टर 20 में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को पिछले 44 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है इस वर्ष 45वीं जन्माष्टमी के अवसर पर लगाई विशेष झांकियां लोगों को काफी आकर्षित करेंगी
चैतन्य गौड़ीय मठ के प्रवक्ता जय प्रकाश गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इन झांकियों का उद्घाटन चंडीगढ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन द्वारा किया गया है। सबसे पहले द्वार पर गोपाल जी के दो झूले अन्य विशेष झांकियां बनाई गई हैं। जिम में सबसे पहले झांकी जिसमें दिखाया गया के दुर्योधन के घर जब भगवान श्री कृष्ण महाभारत से पूर्व शांति दूर बनकर गए और दुर्योधन को समझाया कि यह युद्ध ना हो तो उसने मना कर दिया कहने लगा मर जाऊंगा या मार दूंगा पर हस्तिनापुर ना दूंगा, इसके बाद जब दुर्योधन ने कृष्ण को भोजन खाने लिए कहा तो कृष्ण ने मना कर दिया और साथ ही विदुरानी के घर जाकर भूख के कारण केले के छिलके को ही खाने लग गए दूसरी झांकी में मुस्लिम भक्त श्री हरिदास जी की सफल जीवन लीला को दिखाया। फिर अजन्मे भगवान श्री कृष्ण की लीला जिसमें देवकी और वसुदेव भगवान कृष्ण की तपस्या कर उनके जैसा पुत्र मांगने की इच्छा करते हैं, तो भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मुझ सा दूसरा तो ना कोई बस मैं ही हूं , तो उस पर देवकी कहती के प्रभु आप ही मेरे पुत्र बनकर आओ। इसके बाद अगली झांसी में माता यशोदा जी की भक्ति के वश में सर्वशक्तिमान  भगवान श्री कृष्ण
आल इंडिया श्री चैतन्य गौड़ीय मठ जेनरल सेक्ट्री विष्णु महाराज जी ने बताया कि हमारी इस जन्माष्टमी में सबसे बड़ी आकर्षक झांकी जिसमें स्क्रीन मूर्तियों से लोगों को दिखाया गया के पंजाब राज्य के राजा द्रोपद ने एक यज्ञ करवाया जिसके फल में द्रौपदी दृष्टद्युम्न  युवा अवस्था में अवतरित हुए फिर पांडवों के साथ द्रोपती का विवाह, पांडवों द्वारा द्रौपदी को जुए में हारना वह दुर्योधन के कहने पर दुशासन का द्रौपदीको बालों से खींचकर सभा में लाना , दुर्योधन के कहने पर दुशासन का द्रौपदी की साड़ी खींचना, जिसे खींचता-खिंचता थक जाता है द्रौपदी का भगवान श्री कृष्ण को पुकारना आकाश मार्ग से गरुड़ पर सवार होकर भगवान श्री कृष्ण का आना और द्रौपदी की लाज को बचाना। मठ की सुंदरता को बनाए रखने के लिए भगवान श्री कृष्ण का फूलों का महल जिसे इंटीरियर डिजाइनर करुण नरुला ने देसी वह विदेशी लगभग पांच क्विंटल फूलों से जैसे कि थाईलैंड से आए 8 रंगो वाले फूल आरकैट, हॉलेंड से आए ट्यूलीप , हिमाचल से आए गुलदोदी अन्य ग्लैडर्स रजनीगंधा जैसे फूलों से भगवान श्री कृष्ण के बंगले को सजाया जाता है। इन फूलों की कीमत लगभग 4:30 लाख रुपए के करीब है ।जिसकी सुंदरता और महक पूरे मठ को आकर्षित और महका देती है इस रोनक को आप जन्माष्टमी के दिन देख पाएंगे। जन्माष्टमी उत्सव की रौनक कारीगरी को विभिन्न राज्यों से आए 6 विशेष कारीगर लोगों के सहयोग से पूरा किया जाता है, जिनमें बिहार से आए प्रोफेसर मूर्तिकार जयप्रकाश, शम्भू अम्बष्ठा, इंजीनियर राजन इंटीरियर डिजाइनर करन नरुला ऑलराउंडर कारीगर मुकेश सुमित रविंद्र कुमार वर्मा उर्फ छोटू है।  प्रत्येक वर्ष फूलों से सजे और खूबसूरत मूर्तियों से सुसज्जित भगवान श्री कृष्ण की जन्म लीला जन्माष्टमी को देखने का उत्साह यहां आए भक्तों में देखा जाता है। जन्माष्टमी की रोज भगवान श्रीकृष्ण को रात 12:00 बजे 108 प्रकार के व्यंजनों से भोग लगाया जाता है।  नए वस्त्रों को पहनाया जाता है, लोगों में चरणामृत बाटा जाता है अगले दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। 
प्रवक्ता जय प्रकाश गुप्ता ने बताया किजन्माष्टमी पर आए हुए लोगों की सहूलियत के लिए छह वाटर टी एम  लगाए गए हैं।   सुरक्षा कि दृष्टि से चंडीगढ पुलिस की ओर से 20 पुलिस बल दो मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं मठ की और से लोगों को दिशा निर्देश देने के लिए 70 से 80 वालंटियर भी तैनाती गए हैं, जिससे लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत आए। उन्होंने बताया कि आगजनी जैसी घटना से वचाब केलिए अग्निशमन कि गाड़ियों कि भी व्यवस्था कि गयी है।

No comments: