Sunday, 1 September 2019

श्री रामलीला व दशहरा मैदान सेक्टर 32 में चतुर्थ श्री गणेश महोत्सव: 02 सितम्बर को इको फ्रेंडली सवा सात फुट ऊंची मूर्ति की होगी स्थापना


By Tricitynews
Chandigarh 01st September:- श्री गणपति महोत्सव सभा,चंडीगढ़ की ओर से श्री रामलीला दशहरा मैदान में चतुर्थ श्री गणपति महोत्सव का आयोजन 01 सितंबर से 04 सितंबर तक किया जा रहा है। ये जानकारी श्री गणपति महोत्सव सभा के प्रधान प्रदीप बंसल ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी । इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण श्री गणपति बप्पा की इको फ्रेंडली 7.25 फुट ऊँची प्रतिमा होगी। इसके अलावा पहली बार होने जा रही संगीतमय श्री सत्यनारायण कथा भी भक्तजनो को आकर्षित करेगी। इस अवसर पर सभा की कार्यकारिणी के अन्य सदस्य वित् सचिव-संदीप गुप्ता, संगठन सचिव-सुमीत खरबंदा, उप प्रधान-विशाल अग्रवाल, सचिव-संजीव मित्तल, सचिव आशीष शर्मा सहित प्रसिद्ध समाजसेवी प्रकाश सैनी तथा मंच संचालक संदीप चुघ भी उपस्थित थे।
श्री गणपति महोत्सव सभा के प्रधान प्रदीप बंसल ने बताया है कि 01 सितंबर को सुबह 11.15 बजे विघ्नहर्ता श्री गणपति जी महाराज की प्रतिमा को एक भव्य यात्रा के साथ पंडाल तक लाया गया और श्री गणपति जी का स्वागत किया गया है। इस दौरान भक्तजनों का उत्साह देखते ही बनता था, और 02 सितम्बर को सवेरे 09 बजे पूजा अर्चना, श्रृंगार एवं प्रथम आरती के साथ मूर्ति स्थापना की जाएगी। शाम 04 बजे संगीतमय सत्यनारायण कथा होगी।शाम 06 बजे  इच्छुक भक्तों द्वारा अपनी समर्था अनुसार अपने घर से श्री गणपति जी को भोग के लिए तैयार 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जायेगा। शाम 07 बजे आरती और गणेश वंदना होगी। रात्रि 7.30 बजे से प्रभु इच्छा तक भजन संध्या और तत्पश्चात रात्रि 8 बजे प्रभु इच्छा तक भंडारा होगा।  प्रदीप बंसल ने आगे बताया कि इसी तरह 02 सितम्बर को पतंजलि युवा भारत द्वारा सवेरे 5 बजे से 7 बजे तक योग साधना एवं सूर्य नमस्कार का आयोजन होगा। प्रातः 10 बजे श्री गणेश आरती और प्रसाद वितरण होगा, शाम 06 बजे श्री गणपति जी को 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया जायेगा। शाम 07 बजे आरती, रात्रि 7.15 से 09 बजे तक महोत्सव आचार्य पंडित रविंदर शास्त्री जी , प्रख्यात भजन गायक विक्की गर्ग जी, प्रख्यात भजन गायक सरजीवन शैरी जी एवं बृज रस अनुरागी साध्वी पूजा सखी जी द्वारा  भजन संध्या की प्रस्तुति होगी। रात्रि 09 बजे प्रभु इच्छा तक श्री बाला जी प्रचार मंडल द्वारा भजन संध्या एवं संकीर्तन आयोजित होगा। रात्रि 08 बजे से प्रभु इच्छा तक भंडारा का वितरण होगा। महोत्सव के अंतिम दिन 04 सितम्बर को पतंजलि युवा भारत द्वारा सवेरे 5 बजे से 7 बजे तक योग साधना एवं सूर्य नमस्कार का आयोजन किया जायेगा। प्रातः 09 बजे श्री गणेश आरती और प्रसाद वितरण होगा।प्रातः 11.15 बजे भक्तों द्वारा अर्पित 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया जायेगा। दोपहर 12.15 बजे मूर्ति विसर्जन आरती होगी। दोपहर 1.15 बजे श्री गणेश विसर्जन के लिए एक विशाल रथ यात्रा निकाली जाएगी। पैदल रथयात्रा श्री गणपति पंडाल सेक्टर 32 से प्रारम्भ होकर सेक्टर 30 और सेक्टर 30 की मध्य सड़क से होती हुई सेक्टर 20 गुरुद्वारा चौक, सेक्टर 20/30 लाइट पॉइन्ट, अग्रवाल भवन, सेक्टर 30 से होती हुयी सेक्टर  29 बाबा बालक नाथ मंदिर से सेक्टर 29  की मध्य सड़क से गुजरती हुई रथ यात्रा श्री गणपति विसर्जन हेतु घग्गर नदी, नाडा साहिब के पास विसर्जित होगी उन्होंने बताया कि मंच संचालक, प्रख्यात वक्ता संदीप चुघ जी होंगे। 
श्री गणपति महोत्सव सभा के जनरल सेक्रेटरी अजय बंसल ने बताया कि इस बार आयोजित चतुर्थ श्री गणपति महोत्सव का मुख्य आकर्षण श्री गणपति जी की ईको फ्रेंडली 7.25 फुट की प्रतिमा है। इसके अलावा श्री बाला जी का दरबार और प्रतिदिन श्री गणपति जी को लगने वाला 56 प्रकार के व्यंजन का भोग होगा आकर्षण के अन्य केंद्र बिंदु श्री सत्यनारायण की संगीतमय  कथा की प्रस्तुति होगी। इसी तरह रोजाना होने वाला सूर्य नमस्कार एवं योग भी भक्तों को आकर्षित करेंगे। श्री गणपति जी भव्य रथ यात्रा भी आकर्षण का केंद्र रहेगी।
प्रदीप बंसल और अजय बंसल ने बताया कि गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नो दिन तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नो दिन बाद गाजे बाजे से श्री गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है।  हिन्दू मान्यता अनुसार सिद्धि विनायक, विघ्नहर्ता श्री गणपति जी महाराज इस समय  11 दिनों के धरती भ्रमण पर निकलते है और भक्तों के दुःख और कष्ट हरते हुए वापिस कैलाशधाम पर्वत चले जाते है। भक्तो की दुःख भरी पुकार सुन कर ही श्री गणपति धरती पर आते है।

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