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Chandigarh Jan.
13, 2021:- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात आदि राज्यों में वाणिज्यिक फसलों के लाखों किसानों और खेत श्रमिकों के हितों के लिए प्रतिनिधि गैर-लाभकारी संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस (एफएआईएफए) ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीओटीपीए संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की,क्योंकि यह विधेयक भारत के एफसीवी तंबाकू किसानों के लिए जानलेवा होगा।
प्रस्तावित संशोधन विधेयक, 2020 भारत में लगातार बढ़ रहे अवैध सिगरेट कारोबार को भारी बढ़ावा देगा और वैध सिगरेट कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। इसका नतीजा यह होगा कि भारतीय किसानों द्वारा उगाई जाने वाली तंबाकू की मांग में भारी गिरावट आएगी और वे अपनी आजीविका का एकमात्र स्रोत खो देंगे।
एफएआईएफए ने विभिन्न संबंधित मंत्रालयों जैसे पीएमओ, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, श्रम मंत्रालय आदि के समक्ष अपनी अपील प्रस्तुत की है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने सचित्र चेतावनी का आकार बड़ा करने, सिगरेट पर दंडात्मक कराधान लागू करने जैसे कई सख्त नियमन तंबाकू पर लागू किए हैं। 2012-13 से अब तक सिगरेट पर टैक्स तीन गुने से ज्यादा हो चुका है और सरकार ने इनकेनिर्यात पर मिलने वाला प्रोत्साहन भी खत्म कर दिया है। इन सबके कारण करोड़ों भारतीयों की आजीविका पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, जबकि उनके पास किसी वैकल्पिक आजीविका का अवसर भी नहीं है।
उन किसानों को भी कोई सहायता नहीं मिल रही है जो अपने यहां की सूखी जलवायु में और इस तरह की कोई नकदी फसल उगाने में असमर्थ हैं। वर्तमान में, भारत सिगरेट के बाजार में अवैध सिगरेट की चौथाई हिस्सेदारी के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा और सबसे तेजी सेबढ़ता अवैध सिगरेट बाजार बन गया है।भारत में पिछले डेढ़ दशक में अवैध सिगरेट का बाजार दोगुना होकर 2006
के 13.5 अरब स्टिक की तुलना में 2019 में 28 बिलियन स्टिक हो गया। अवैध सिगरेट में स्थानीय स्तर पर उगाई गई तंबाकू का प्रयोग नहीं होता है, इसलिए अवैध कारोबार में वृद्धि से देश में तंबाकू किसानों की आजीविका पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि घरेलू तंबाकूकी मांग में और कमी आती है।
एफसीवी किसान समुदाय ने अपनी उपज की बिक्री में गिरावट के कारण पिछले 7 वर्षों में 6000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाया है। अवैध सिगरेट के बढ़ते व्यापार से न केवल वैध सिगरेट उद्योग और किसानों की आय प्रभावित हो रही हैए बल्कि सरकारी राजस्व भी प्रभावित हो रहा है।भारत में तंबाकू उपभोग का पैटर्न अनूठा है। यहां तंबाकू उपभोग के मामले में सिगरेट सबसे छोटा हिस्सेदार है और इसमें कुलखपत होने वाली तंबाकू का मात्र 9 प्रतिशत प्रयोग होता है।
पिछले तीन दशक में भारत में कुल तंबाकू उपभोग में वैध सिगरेट की हिस्सेदारी
1981.82 के 21 प्रतिशत से घटकर 2019.20 में 9 प्रतिशत पर आ गई। इसी अवधि में देश में कुल तंबाकू उपभोग 46 प्रतिशत बढ़ा है। तंबाकू के वैध कारोबार पर बहुत ज्यादा नियमन से तंबाकू उत्पादों की मांग में कोई कमी नहीं आई हैए बल्कियह उपभोग वैध सिगरेट से अवैध और कर चोरी कर लाए हुए सस्ते सिगरेट की ओर चला गया है।
विधेयक को वापस लेने की मांग करते हुए, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस के प्रेसिडेंट श्री जावरे गौड़ा ने कहा, प्रस्तावित कठोर संशोधन खुदरा विक्रेताओं और व्यापारियों को आतंकित करेंगे और वे वैध सिगरेट की बिक्री से नहीं जुडऩा चाहेंगे। नतीजतन, अवैध तंबाकू उत्पादों को बढ़ावा देने वाले आपराधिक सिंडिकेट को मौका मिलेगा और भारतीय बाजार में अवैध सिगरेट की बाढ़ आ जाएगी। ऐसी अवैध सिगरेट खराब गुणवत्ता की हो सकती है और निश्चित रूप से भारत में लागू किसी भी नियम का पालन नहीं करेगी। वर्तमान में भी अवैध तम्बाकू उत्पाद केपैकेट वैधानिक चेतावनी नहीं देते हैं। चूंकि ये अवैध सिगरेट भारतीय किसानों द्वारा घरेलू स्तर पर उगाए गए तंबाकू का उपयोग नहीं करते हैंए जिस कारण से देश में इस फसल परनिर्भर लाखों तंबाकू किसानों की कमाई और आजीविका छिन जाएगी।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस के महासचिव मुरली बाबू ने कहा, हमने देख है कि संशोधन विधेयक में एफसीटीसी के सभी प्रावधानों को पूरी ताकत से लागू किया जा रहा है और कुछ मामलों में तोएफसीटीसी के प्रावधानों से भी ज्यादा सख्त कदम उठाए गए हैं। हालांकिए अभी भी उन वास्तविक समस्याओं के बारेमें कोई बात या कार्रवाई नहीं हुई हैए जो इन प्रस्तावित कड़े कानूनों के कारण तम्बाकू किसानों को झेलनी पड़ेगी। हम इस विसंगति को माननीय पीएम के संज्ञानमें लाना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि इन कड़े कानूनों का सीधा असर इस फेडरेशनके सदस्यों और अन्य तंबाकू किसानों पर किस तरह से पडऩे वाला है। ष्भारत दुनियामें तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और एक बड़ा निर्यातक है। देश में 13 राज्यों में तंबाकू का उत्पादन होता है और इससे 4.57
करोड़ लोगों की आजीविका चल रही हैए जिनमें लाखों किसान, श्रमिक, गरीब व आदिवासी लोग व उनके परिवार शामिल हैं। भारत जैसा कोई अन्य देश नहीं हैए जहां इतनी बड़ी आबादी आजीविका के लिए तंबाकूउत्पादों पर आश्रित है। एफसीटीसी इस बात पर जोर देता रहता है कि उसके प्रावधानों सेकिसी भी तरह से तंबाकू किसानों को नुकसान नहीं पहुंचेगा और उनके लिए अन्यव्यावहारिक विकल्प खोजे जा रहे हैंए जिससे तंबाकू किसानवैकल्पिक फसलों की ओर जा सकें। हालांकिए वास्तव में एफसीटीसी या निहितस्वार्थ वाले किसी भी गैर-सरकारी संगठन ने तंबाकू किसान को कोई विकल्प या समाधाननहीं दिया है। तम्बाकूकिसानों की दुर्दशा पर एफसीटीसी के सभी कदम केवल विचार के स्तर पर हैं और वास्तविकतामें इनका कोई आधार नहीं है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में जहां बेरोजगारी औरकिसानों के हालात को लेकर पहले से ही तनाव की स्थिति है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस के राष्ट्रीय प्रवक्ता यशवंत चिदिपोतु ने कहा, हम मानते हैं कि निहित स्वार्थोंवाले संगठनों ने हमारी सरकार को गुमराह किया है। हम सरकार से तंबाकू नियंत्रणकार्यकर्ताओं और गैर.सरकारी संगठनों के वास्तविक एजेंडे की जांच करने का आग्रहकरते हैंएजो एक झूठे प्रचार को बढ़ावा दे रहे हैं और तंबाकू उत्पादोंके वैध कारोबार को बाधित करने के लिए विभिन्न मंचों पर मुकदमेबाजी कर रहे हैं।ष् एफसीवी किसान समुदाय नीति निर्माताओं से अपील करता है कितम्बाकू किसानों को हो रही पीड़ा और चोट पर ध्यान दें और ऐसा कोई संशोधन न लाएंए जिससे संकट और बढज़ाए।
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