Chandigarh Jan.
09, 2021:-
एनजीओ कंज्यूमर वॉयस ने कहा है कि तेल में ट्रांस फैट को सीमित करने के लिए विनियम और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा इससे हर वर्ष होने वाली हजारों मौतों को रोक जा सकता है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने हाल ही में घोषणा की है कि सभी खाद्य रिफाइंड तेल, वनस्पति व अन्यों में जनवरी 2021 तक केवल 3 प्रतिशत ट्रांस फैट होना अनिवार्य है तथा जनवरी 2022 तक 2 प्रतिशत या उससे कम ट्रांस फैट्स शामिल होना चाहिए। एफएसएसएआई द्वारा यह कदम 2018 में खाद्य तेलों और सभी खाद्य पदार्थों में ट्रांस-फैट्स को कम करने के लिए की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दिशा में पहला कदम है।
कंज्यूमर वॉयस के सीओओ आशिम सान्याल ने कहा कि भारत ने एफएसएसएआई के साथ एक आजीवन मील का पत्थर हासिल किया है, डायबटीज़ के साथ-साथ हृदय संबंधी बीमारियां कोविड रोगियों के लिए घातक साबित हो रही हैं। सभी खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट्स का अनुपलब्ध तत्व एक दर्दनाक बिंदु है और उम्मीद है, एफएसएसएआई जनवरी 2022 से पहले इसे भारतीय प्लेटर से रासायनिक ट्रांस फैटी एसिड को खत्म करने के लिए संबोधित करेगा।
ट्रांस वसा का सेवन हृदय रोगों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। 2017 के अनुमान के अनुसार, दुनिया के सभी देशों में उच्च ट्रांस-फैट के सेवन के कारण भारत में हृदय रोग से होने वाली मौतों का सबसे अधिक बोझ है। कोरोनरी हार्ट डिजिज के कारण हर साल 1.5 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं, और हर साल इनमें से लगभग 5 प्रतिशत मौतें (71,000) को ट्रांस फैट सेवन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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