By Tricitynews Reporter
Chandigarh 20th February:- मन्त्रों में ज्ञान की शक्ति होती है मन अनेक विशेषताओं , अवस्थाओं, और शक्तियों के कारण अनेक नाम रखता है। उपरोक्त शब्द केंद्रीय आर्य सभा द्वारा आयोजित महर्षि दयानंद जन्म उत्सव कार्यक्रम के दौरान आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने कहे। उन्होंने कहा कि जब मन देवों से जुड़ जाता हसि तो उसे देव मन कहते हैं। देव पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं। मन का इंद्रियों से जुड़ना जरूरी है। जब मन पांच कर्मेंद्रियों से जुड़ जाता है तब मन यक्ष मन कहलाता है। यक्ष मन पूज्य है। मन के जिस कोने पर प्रकाश है वह प्रज्ञान अर्थात बुद्धि है।
आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने प्रवचन के दौरान बताया कि चित में सारी घटनाएं संचित होती हैं। उन्होंने कहा कि चित ऐसा जलाशय है जिसमें घटनाएं रूपी जंतु ऊपर आते रहते हैं। हमें चित से स्वाध्याय करना चाहिए। इस सम्पति को कोई चुरा नहीं सकता है। जो मनुष्य मन की शक्तियों को सांसारिक विषयों में विखेर कर रखता है। वह मन की ताकत को पहचान नहीं सकता। शक्ति को केंद्रित कर मनुष्य असम्भव को संभव बना सकता है। चित तो व्यापक है। महर्षि दयानंद ने भगवान का उज्जवल प्रकाश को प्राप्त करने का लक्ष्य बनाया। वेद ईश्वरीय वाणी है। इसमें प्रत्यक्ष और परोक्ष विषय का ज्ञान है। इससे पूर्व कल्याण देव वेदी ने मधुर भजनों से उपस्थित आर्यजनों को आत्मविभोर कर दिया।
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