By Tricitynews
Chandigarh 04th
September:- श्री गणपति महोत्सव सभा, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित चार दिवसीय श्री गणपति महोत्सव का गणपति बप्पा की मूर्ति विसर्जन के साथ समापन हो गया। अंतिम दिन गणमान्य व्यक्तियों द्वारा रथ यात्रा को रवाना किया गया जो कि विभिन्न सेक्टरों से होती हुई पंचकूला के निकट घग्गर नदी पर पूरी हुई।
सेक्टर
32 के श्री
रामलीला एवम
दशहरा ग्राउंड
में चल
रहे श्री
गणपति महोत्सव
के अंतिम
दिन भी
माहौल भक्तिमय
रहा। महोत्सव
के अंतिम
दिन की
शुरुआत सवेरे
05 से 07 बजे
तक पतंजलि
युवा भारत
द्वारा योग
साधना एवम
सूर्य नमस्कार
के साथ
हुई। उसके
बाद 09 बजे
श्री गणेश
आरती के
बाद प्रसाद
वितरण हुआ।
11.15 बजे भक्तो
द्वारा अपने
प्यारे बप्पा
के लिए
तैयार 56 प्रकार
के व्यंजन
का भोग
लगाया गया।
दोपहर सवा
12 बजे विसर्जन
आरती की
गई। सवा
एक बजे
भव्य और
आकर्षक रूप
से सज्जित
रथ में
बप्पा की
मूर्ति को
विराजमान किया
गया और
"गणपति बप्पा
मोरिया- अगले
बरस जल्दी
आ" एक
दो तीन
चार-गणपति
की जय
जय कार"
जयकारों से
रथ यात्रा
रवाना हुई।
जोकि शहर
के विभिन्न
भागों जैसे
सेक्टर 32 महोत्सव
पंडाल से
शुरू होकर,
सेक्टर 20 गुरुद्वारा
चौक, सेक्टर
20/30 लाइट पॉइंट,
सेक्टर 30 इनर
रोड, सेक्टर
29/30 लाइट पॉइंट
से सेक्टर
29 इनर रोड
से मनीमाजरा
से होती
हुई पंचकूला
स्थित गुरुद्वारा
नाडा साहिब
के पास
घग्घर नदी
में मूर्ति
विसर्जन के
साथ समाप्त
हुई।
श्री
गणपति महोत्सव
सभा के
अध्यक्ष प्रदीप
बंसल और
जनरल सेक्रेटरी
अजय बंसल
ने बताया
कि गणेश
चतुर्थी पर
सभा द्वारा
आयोजित ये
चौथा महोत्सव
था। चार
दिवसीय इस
महोत्सव में
भक्तों का
भारी उत्साह
देखने को
मिला जिससे
की अगले
वर्ष भी
यह महोत्सव
आयोजित किया
जाएगा।उन्होंने बताया
सभा द्वारा
इस बार
बप्पा की
7.25 फुट ऊंची
इको फ्रेंडली
की स्थापना
की गई
थी। इको
फ्रेंड्ली चीजों
प्रकृति को
किसी तरह
से नुकसान
नहीं पहुंचाती।
इसे विसर्जन
के वक्त
जैसे ही
पानी में
डालेंगे यह
चंद मिनटों
में घुल
जाएगी।
सभा
के महासचिव अजय
बंसल के
अनुसार सभा
द्वारा चंडीगढ़
में चौथी
बार इस
भव्यता से
महोत्सव का
आयोजन किया
गया हैं
और हमारी
इच्छा है
कि श्री
गणपति जी
की कृपा
से प्रत्येक
व्यक्ति के
जीवन से
सभी विघ्नों
को विनाश
हो और
सारे कारज
सिद्ध हों।
प्रत्येक वर्ष
शहर के
हर मंदिर
में गणेशोत्सव
का आयोजन
हो। हम
लोगों का
अपने घरों
में गणेश
स्थापित करने
के लिए
भी प्रेरित
करेंगे।
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